Sunday 14 February 2010

'Khan' Repaired Almost Everything

वीकएंड पर फिल्में देखना मेरा शौक है पर अक्सर मसरूफियत की वजह से वक्त नहीं मिलता सो मन मसोस कर भी रहना पड़ जाता है...लेकिन इस बार फ्राइडे नाइट को ऑफिस से निकला तो थकान का अहसास न के बराबर था और अक्सर फैसला लेने की घड़ी में डबल माइंड रहने की मेरी आदत भी रफूचक्कर थी । फर्स्ट डे फर्स्ट शो नहीं तो क्या हुआ । फैसला लिया जा चुका था कि इंतजार बिल्कुल नहीं....माई नेम इज खान तो आज ही देखूंगा...ऐसा भी नहीं कि मैं शाहरूख का बहुत बड़ा फैन हूं लेकिन जब दिन में सौ बार किसी फिल्म से जुड़ी ब्रेकिंग न्यूज देनी पड़े तो उसके लिए चाहत तो अपने आप ही जग जाती है...न जाने क्यों ये लग रहा था कि भई कुछ तो खास होगा इस फिल्म में...ये जानते हुए भी कि फिल्म के निर्देशक करन जौहर हैं जिनकी इससे पहले की फिल्में चाहे वो कुछ कुछ होता है , हो 'कभी खुशी कभी गम' हो या फिर कभी अलविदा न कहना न जाने क्यों मुझे एक जैसी लगीं । लगा एक ही फिल्म चले जा रही हो.....फिर भी इस फिल्म को देखने का बड़ा मन था.....खैर परिवार के साथ फिल्म देखने पहुंचा और जब बाहर निकला तो मन में बहुत सारी चीजें क्रिस्टल की तरह साफ हो चुकी थीं.....

शाहरूख के हाथों में '' रिपेयर ऑलमोस्ट ऐनीथिंग " का प्लैकार्ड देखकर पहली बात जो मन में आई वो थी कि वाकई शाहरूख ने अपनी इस फिल्म के जरिए सब कुछ रिपेयर कर डाला....शिवसेना की हिटलरशाही, ठाकरे का गुरूर, बॉलीवुड का डर, भगवा गुंडों की गुंडागर्दी, और आम जनता में बसा उनका खौफ । ये खान हर मोर्चे पर कामयाब हुआ, जरा सोचिए क्या इससे पहले बॉलीवुड के किसी पठान या बच्चन ने इतनी हिम्मत दिखाई थी कि ठाकरे की सत्ता को चुनौती दे....नहीं, कभी नहीं...हमेशा से ही बॉलीवुड इनकी सत्ता के आगे नतमस्तक होता आया है । लेकिन शाहरूख ने इस बार ठाकरे को बता दिया कि उनका पाला एक मर्द से पड़ा है । ये सब सुनने के बाद शाहरूख को अगर आप बॉलीवुड का इकलौता मर्द कहने की सोच रहे हैं तो मैं आपके साथ हूं ।

मनोज देसाई जैसे सिनेमामालिकों या कहें शिवसेना प्रमुख के इक्का दुक्का चमचों ने ठाकरे का टेरर फैलाने की भरपूर कोशिश की और थोड़ी देर के लिए ये जरूर लगा कि अब पूरे महाराष्ट्र में फिल्म नहीं चल पाएगी और फिल्म के निर्माताओं का कम से कम 45-50 करोड़ का नुकसान तय है । पर ये हम सबकी भूल थी..हम भूल गए थे जनता की ताकत...हम भूल गए थे कि जनता हमेशा सच के साथ होती है । और इसीलिए हमें ये लगने लगा था कि मुंबई को अपनी ज़रखरीद जागीर समझने वाले चंद गुंडों से डरकर जनता फिल्म देखने थिएटर नहीं जाएगी। खुदा का शुक्र है कि ऐसा नहीं हुआ। हो जाता तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र तार तार हो जाता....शुक्र है उन मुंबईकरों की स्पिरिट का जो पूरे परिवार के साथ फिल्म देखने निकले और नफरत की राजनीति करने वालों को एक करारा तमाचा जड़ते हुए उन्हें पानी पानी कर दिया

वैसे खुद को स्वयंभू शेर डिक्लेयर करने वाले ठाकरे को गीदड़ साबित करने के अलावा खान एक और मोर्चे पर बेहद सफल रहे और वो मोर्चा था ये फिल्म .. शाहरूख ने अपनी इस फिल्म के जरिए देश को मोहब्बत का एक नायाब तोहफा दिया । गोया किंग खान को फिल्म बनाते वक्त ही पता हो कि ये बवाल होने वाला है और उसी वक्त उन्होंनें रील के साथ रियल क्लाईमेक्स भी तैयार कर लिया । वाकई ये फिल्म खान बनाम ठाकरे की , मोहब्बत बनाम नफऱत की इस जंग का क्लाईमेक्स ही थी। फिल्म का एक एक सीन बड़ी शिद्दत के साथ फिल्माया गया नजर आया और बड़े दिनों बाद लगा कि किसी ने दिल से कोई फिल्म बनाई है । कोई भला कैसे भुला सकता है फिल्म में शाहरूख की मां का वो डायलॉग कि - बेटा इस दुनिया में सिर्फ दो ही तरह के लोग होते हैं एक अच्छे और दूसरे बुरे। कैसे भुलाया जा सकता है वो सीन जिसमें एक सफेदपोश आतंकवादी मस्जिद के अंदर बैठकर नौजवानों को खुद की गढ़ी हुई इस्लाम की परिभाषा से बरगला रहा होता है और रिजवान खान की सही इस्लाम की समझ उसे पल भर में सबकी नजर में शैतान बना देती है। सीधा सबक ये कि जो कोई भी इस्लाम को सही से समझ चुका है , पढ़ चुका है वो दहशतगर्दों के बहकावे में कभी आ ही नहीं सकता । सबक ये कि इस दुनिया में मोहब्बत से बड़ा कोई मजहब है ही नहीं ।

वाकई शाहरूख आज तुम्हारे लिए मेरे दिल में इज्जत और बढ़ गई, रील और रियल लाइफ दोनों के जरिए तुमने बता दिया कि अगर किसी का दिल जीतना है तो उससे मोहब्बत करना सीखो और अगर खुद का बेड़ा गर्क करना है तो नफरत फैलाओ। मुझे ये कहते हुए कोई शक नहीं कि शाहरूख का माफी न मांगने का ये स्टैंड और लाख धमकियों के बाद घर से बाहर निकल कर यूं जनता का उसे सिर आंखों पर बिठाना महाराष्ट्र के चंद शहरों तक सिमटी ठाकरे की सत्ता के ताबूत की आखिरी कील साबित होगा । क्योंकि आज के बाद ठाकरे बंधु किसी फिल्मकार पर बवाल काटने के बाद उसकी रिलीज रुकवाने का सिर्फ सपना ही देखेंगे यकीन जानिए ये कोई छोटी बात नहीं है ...क्योंकि उनकी ये हार ही देश में लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत है ।

6 comments:

sunil dutt said...

13 फरबरी 2010 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में मुसलिम आतंकवादियों द्वार किए गए जिहादी हमले में 9 लोग मारे गए व लगभग पचास लोग घायल हुए । पाकिस्तानियों के लिए लड़ने बाले व देशभक्तों को गाली गलौच करने बाले शाहरूख व उस जैसे सब लोगों से हम सिर्फ इतना ही कहेंगे कि समझदार लोग जिस पत्र में खाते हैं उस पत्र में छिद्र नहीं करते । हां अगर इन लोगों को पाकिस्तानियों से इतना ही लगाब है तो ये लोग पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते क्योंकि 1947 में पाकिस्तान का निर्माण ही इन जैसे गद्दारों के लिए किया गया था । पाकिस्तान उन लोगों के लिए बनाया गया था जो वन्देमातरम् का गान अमनी शान के खिलाफ समझते हैं गद्दारी और नमक हरामी जिनकी रग-रग में है । जो खाते–रहते भारत में हैं गुणगान पाकिस्तान और मुसलिम आतंकवादियों का करते हैं । कहां है इन गद्दारों की मां एंटोनियो माईनो मारियो ,उसका लाल और इन दोनों का गुलाम दिगविजय सिंह कोई जाकर बताए उसे कि पुलिस के लोग अपनी जान की बाजी लगाकर मुसलिम आतंकवादियों को पकड़ने बाले हैं । कहीं ये आतंकवादी इन पुलिसबालों के हाथ न आ जायें इसके लिए ये गद्दार जल्दी से इन आतंकवादियों के घर जाकर बैठ जाए और कह दे ये निर्देष हैं एंटोनियों के लाल हैं इन्हें कोई न पकड़े । पकड़ना है तो जाकर देशभक्त संगठनों के कारकर्ताओं को पकड़ें जो हर वक्त देशभक्ति का राग अलाप कर इन गद्दारों के बने बनाए खेल को विगाड़ रहे हैं । पर इस दिगविजयसिंह को यह भी बता देना कि इन आतंकवादियों का अगला निशाना इटली के निवासी हैं कहीं ये पहुंचते –पहुंचते इन सब गद्दारों की मां एंटोनियो तक न पहुंच जायें। फिर क्या करोगे।
जागो मेरे प्यारे सर्वधर्मसम्भाव में विस्वास रखने बाले हिन्दू भाईयो ,इस देश को अपनी मां मानकर वन्देमातरम् का गान करने बाले देशभक्त मुसलिम भाईयो बचा लो अपने तिल- तिल मिटते हिन्दू राष्ट्र भारत को क्योंकि जिस दिन ये पाकिस्तान हो जाएगा तो न हिन्दू बचेंगे न शांतिप्रिय देशभक्त मुसलिम भाई ही बचेंगे । अगर कोई बचेगा तो सिर्फ मुसलिम आतंकवादी व उनके गुलाम।
हम देशभक्त हिन्दूमुसलिम भाईयों से यही कहेंगे कि पहचानो उन मुसलिम गद्दारों को जो ये आतंकबाद फैला रहे हैं व उन मुसलमानों को जो इन आतंकवादियों को सरण दे रहे हैं इन्हें निर्दोश बताकर इस मुसलिम आतंकवाद को आगे बढ़ा रहे हैं पहचानों उन हिन्दूओं को जो हिन्दू होकर हिन्दूओं से गद्दारी कर न मुसलिम आतंकवादियों का साथ देकर आपके बच्चों को मौत की ओर धकेल रहे हैं ।
देशभक्तों के शव्र का इमत्हान न लो गद्दारो
अगर ये सवर टूट गया
तो न कोई गद्दार बचेगा न कोई इन गद्दारों का मददगार

sankar said...

hello h ru? my name is shankar i am doing photo edtior in newspaper in gujrat(india) i woring rgb & cymk photo correction any job 4 me msg my id & see by blog www.tcln.blogspot.com

talib د عا ؤ ں کا طا لب said...

BEST OF LUCK 4 NEW INTRY IN BLOGS.

WHEN EVER TIME PLZ COME AND CHAT ON DEEN-DUNYA.

Anonymous said...

@@@sunil dutt............pune men aatankwaadiyon dwara bomb blast .. 16 feb ko bengal men nexalite dwara 25 policemen ki hatya and aaj jamuai men 9 indian ka qatal kar dena ye sab insaniyat ke khilaf hai..aatankwad ka koi dharam nahi hota ...koi dharam aatankwaad nahi seekhata..jisne gandhiji ki hatya ki thi and jisne indira ji ko mara un sab ka koi dharam nahi tha.....SRK ne sirf cricketers ki bat kahi ki inko yaha khelna chahiye to wo desh gaddar hogaya...abhi hockey team pakistan ki aarahi hai poora desh khamosh hai uske aane par to kya poora desh gaddar hogaya....
SRk ne to sirf ek player ki baaat ki .duniya ke sabse bare pakistani jinnah ki tareef advani pakistan men karta hai ki jinnah secular hai ...to ye kya deshprem hai hai???...agar kisi ek statments se aap deshdrohi kah rahe ho to advani sabse bara deshdrohi hai..atal jis bus se gaya tha wo bhi deshdrohi hai.....i always respct atal unhone ne meri nazar men sahih qadam uthaya tha... desh ko sirf aatankwaad se khatra hi nahi balki maaowaadi nexalite and thackeray se hai ho jo sachin jaise mahaan insan ka sirf isliye virodh karta hai ki unhone kaha pahle main indian hoo baaad men marathi...wo bal thkarey jo javed miandad dawood ka rishtedaar usko apne ghar bulakar khana khilata hai.....jo khud madhaya pardesh ka hokar farzi maratha banta hai....bhaijan sirf ek pahloo ko dekhkar koi hal nahi nikalta.......may ALLAH bless you

Anonymous said...

@@@@@ sunil dutt .....digvijay ka jana azamgarh koi jurm nahi india me koi kahin bhi ja sakta hai digvijay ne yahi kaha jo pakre gaye hain unka case fast track par chale taaaki desh ke mujrim jald as jald pakre jayee...desh ke kisi hisse se agar koi insan ghalat kaam karta hai to kya kisi deshwaasi ko us hisse men janaa paap hai.......and agar digvijay ne koi rajneeti ki waha jaaakar to ghalat hai theek waise hi jaise hamaaare hardeel aziz shaheed hemant karkare sab jin par ham sab deshwaasiyon ko naaaz hai jinhone 26/11 ke shaitano se fight karte hue apni qurbaani di..wo jab zinda the aur saadhvi ke case ki investigation kar rahe the tab ye advaaani bola tha ki jaaanch ke dwaara raajniti horahi hai..ye ilzam lagaya tha us jaanbaaaz par to kya advaani ka raajniti karna jayaaz tha????

Unknown said...

You have rightly commented that Shahrukh Khan has repaired everything and has given a very good message through his movie. All the problems start arising when a muslim misinterprets Islam or pretends so.

We must notice here that the scenario is less relevant in India, rather not at all relevant, for, here everyone accepts that 'my name is khan and i am not a terrorist' and 'i am a terrorist and my name is not Khan'.

Really appreciate this article Samir Bravo!

Samar Abbas