Tuesday 2 February 2010

न्यूज़एंकर बनना है ?

सुबह होती है शाम होती है जिंदगी यूं ही तमाम होती है पर एक न्यूज चैनल के एंकर की जिंदगी यूं ही नहीं तमाम होती...क्योंकि उसके पास करने के लिए बहुत कुछ नया होता है...जानने के लिए बहुत कुछ होता है और वो कितना जानता है ये दुनिया को बताने के लिए बहुत कुछ होता है....आगे बढ़ने से पहले बताता चलूं कि मैं जिस न्यूज एंकर की बात कर रहा हूं उसकी छवि एक जमाने में दूरदर्शन पर अवतार की तरह नजर आने वाले और देश को देश के बारे में जानकारी देने के एकमात्र साधन माने जाने वाले वेद प्रकाश ,शम्मी नारंग और सलमा सुल्तान जैसे देवी देवताओं से बिल्कुल अलग है....ये आज का न्यूज एंकर है जिसे सड़क पर निकलने में कोई नहीं पहचानता..जिसके पास खबरें पढ़ने के दौरान रिफ्रेंस के लिए टेलीप्रॉम्पटर यानि टीपी नाम का हथियार तो है लेकिन उसका इस्तेमाल करने का वक्त कम ही मिलता है क्योंकि ये ब्रेकिंग न्यूज का जमाना है...खासतौर पर जो न्यूज एंकर्स दिन के स्लॉट में एंकरिंग करते हैं उनके लिए तो ये बात सौ फीसदी सत्य है....हर दो मिनट पर एक ब्रेकिंग न्यूज ...कभी हंगामा...कभी लाठी चार्ज.....कभी टीमइंडिया का सेलेक्शन, कभी हार कभी जीत, कभी खिलाड़ियों की चोट , कभी किसी राजनैतिक दल का हंगामा, कभी किसी बॉलीवुड या टीवी एक्टर का प्रमोशनल इंटरव्यू......तमाम ऐसी खबरें जिनमें डेस्क के सहयोग से आपको गिनी चुनी 2-4 लाइनें लिखीं मिल गईं तो गनीमत समझिए.....अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि ऐसे में आपको हर विषय की कितनी जानकारी होनी चाहिए कि आप 10-12 मिनट तक एक दो लाइनों की खबर को घसीटने का बूता अपने अंदर पैदा कर पाएं । लबोलुआब ये कि तमाम न्यूज पेपर्स का घुट्टा लगाने के अलावा कोई शॉर्टकट आपको कभी भी मुश्किल में डाल सकता है ।

ये हाल तो तब है जब डेस्क पर बैठे प्रोड्यूसर्स ब्रेकिंग खबर आते ही चीते की फुर्ती दिखाते हुए उसे लिख मारे.....कई बार तो ये लाइनें भी लिखी हुईं नहीं पीसीआर के शोरशराबे के बीच कानों में डायरेक्ट मिलती हैं , इसीलिए कहता हूं आज के एंकर का दिमाग तेज होने के साथ साथ कानों का तेज होना भी अत्यंत जरूरी है। क्योंकि अगर इस शोरगुल में आपने वो लाइनें मिस कर दीं तो समझिए हो गया कांड। फिर तो आपके दर्शक की गालियों से आपको कोई नहीं बचा सकता। हर कोई यही कहेगा कि एंकर ने होमवर्क नहीं किया । हो सकता है स्टूडियो की सीढियां उतरते उतरते बॉस भी झिड़क दे कि इतने सीनियर हो गए हो अभी भी सिचुएशन संभालना नहीं आया, न जाने कब सीखोगे.....

कहने का मतलब ये कि आज के दौर में लाइव न्यूज एंकरिंग करना तलवार की धार पर चलने से किसी मायने में कम नहीं है....अगर आप चाहते हैं कि लोग आपको एक अच्छे और समझदार एंकर के रूप में जानें। वरना ये वो जगह है जहां इक्का दुक्का गलतियों पर निठल्ला होने का तमगा मिलते देर नहीं लगती और एक बार अगर दर्शकों के बीच आपकी ऐसी छवि बन गई तो समझ लीजिए , चाहकर भी उस इमेज को तोड़ना आसान नहीं होगा.....बिल्कुल वैसे ही जैसे चंद नौटंकिया करने के बाद राखी सावंत के घर में अगर सच में भी डाका पड़ जाए तो लोग उसे पब्लिसिटी स्टंट ही समझेंगे उससे ज्यादा कुछ नहीं......

और हां ये तो बात हुई सुबह या दिन के स्लॉट्स में एंकरिंग करने वाले एंकरों की लेकिन शाम 5 बजते ही प्राइम टाइम के शुरू होने के बाद बुलेटिन्स की कमान संभालने वाले एंकरों की दिक्कतें भी कम नहीं हैं । भले ही ब्रेकिंग न्यूज का प्रेशर कुछ हद तक कम हो जाए लेकिन परेशानियां यहां भी हैं । पहली बात तो ये कि 5-6 साल से कम के एक्सपीरिंयस के बिना इस स्लॉट में एंकरिंग मिलना ही नामुमकिन सा है । दूसरे ये कि प्राइम टाइम एंकर से उम्मीद की जाती है कि उसे किसी भी खबर के हर पहलू की जानकारी होगी , हर खबर के इतिहास से लेकर भूगोल तक, ए से लेकर ज़ेड तक उसे पता होगा ही। जाहिर है हर बड़ी खबर पर जब बड़े बड़े संपादकों, नेताओं , और अभिनेताओं के साथ चर्चा करनी हो या फिर हर खबर का आम लोगों पर पड़ने वाला असर उन्हें समझाना हो तो बॉसेज़ का ये उम्मीद करना बेमानी भी नहीं और लास्ट बट नॉट द लीस्ट- हिंदी एंकर बनना है तो भी हिंदी के साथ साथ अग्रेजी शब्दों का सही प्रोननसिएशन अगर नहीं सीखा है तो आपने खुद ब खुद एंकरिंग के लिए अपनी किस्मत के कपाट बंद कर लिए हैं यही समझा जाएगा...

कहने का मतलब ये कि इस फील्ड में आना है तो पूरी तैयारी के साथ आईए हो सके तो कम से कम 2-3 सालों के रिपोर्टिंग अनुभव के बाद आईए क्योंकि अब जमाना बदल चुका है। एक जमाने में सेलेब्रिटी समझे जाने वाले खबरनवीसों का वो दर्जा तो अब नहीं रहा लेकिन उनसे दर्शकों की उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं और एक न्यूज रीडर ,अब न्यूज एंकर का रूप धारण कर चुका है जिसका काम सिर्फ खबरें पढ़ना नहीं एक खबर की तह तक जाकर खुद अपनी काबिलियत से घंटों तक लोगों को बांधे रखना है । और अगर आप में हैं ये तमाम खूबियां या अपनी काबिलियत को इन खूबियों में बदलने का जज्बा तो आपको फेस ऑफ द चैनल बनने से कोई रोक नहीं सकता.....आमीन

9 comments:

अबयज़ ख़ान said...

Sameer.. Wonderful Post.. Kash Apki is Post ko Baki Chanels ke Anchor Bhi Padte.. Apki Post Aur Usmne likhi Baate 100% Sach hain..

newsnnews said...

न्यूज़एंकर बनना है ? : मेरी आवाज़
http://www.newsnnews.org/bhadas-pent-up-feelings/147-samirabbas-news-anchor-blog

वन्दना अवस्थी दुबे said...

स्वागत है

फ़िरदौस ख़ान said...

स्वागत है...

kshama said...

Anek shubhkamnayen..

gyaneshwaari singh said...

बहुत खूब लिखा आपने एंकर के बारे में...

archana mishra said...

AAP NE KHUD KE EXPERIENCE KO SHABDO ME PIROH KAR UN ANCHORS KO EK DISHA DI HAI JO VASTIVKTA SE PRE HO GYE HAI.AUR UN LOGO KO JO MEDIA FIELD ME ANE SE PAHLE HI ANCHOR BANNNE KA SAPNA DEKHTE HAI.YAKINAN AAP KE IS LEKH KO PADKAR, SAB WAQIF HO JAYEGE KI SCREEN PAR DIKHNA KITNA CHUNAUTIYNO SE BHARA HAI.

SUDHANSHU PURI said...

SAMEER BHAIYA
AAJ MAIN JAN GYA KI AP LOGON PAR KITNA PRESSURE RAHTA HAI
DOOR SE TO HUM LOGO KO TO LAGTA HAI KI ANCHOR=ACTOR,ITS CELEBRITY IN MEDIA FEILD
BUT BAHUT MUSKIL HAI BHAI
BAHUT PAPAD BELNE PADTE HAI KYU BHAIYA?

Vikas Kumar said...

samir ji,
achha laga apko padh kar.
vakai bahut hi mushkil hota hai anchring karna lekin phir bhi mai ek din ak news anch. banana chahonga