Thursday 9 August 2018

कांवड़ियों के भेस में हुड़दंगी धर्म की कैसी तस्वीर पेश कर रहे हैं?

पहले दिल्ली में राह चलते एक गाड़ी छू भर जाने से कांवड़िए इतने नाराज हुए कि गाड़ी को लाठी डंडों से तोड़ने के बाद उसके एक एक पुर्जें अलग कर दिए....किसी भी सिविलाइज्ड सोसायटी के लोगों के लिए ये तस्वीरें खऔफ पैदा करने वाली थीं कि अगर रास्ते पर निकले और कांवड़ियों से गाड़ी की हल्की सी भी टक्कर हो गई तो अंजाम क्या हो सकता है..फिर यूपी के मेरठ में हेलीकॉप्टर पर बैठकर पुलिस के आला अफसरों का कांवड़ियों के रास्तों पर फूल बरसाना और बाद में मेरठ से ही सटे बुलंदशहर में कांवड़ियों का पुलिस की डायल 100 वैन पर ही ऐसा हमला कि पुलिस तक को भागना पड़ जाय...एक के बाद इन घटनाओं ने हमारे लिए कुछ अहम सवाल उठा दिए हैं...जिनके जवाब आज हम ढूंढने की कोशिश करेंगे....बेशक कुछ कांवड़ियों की गुंडागर्दी की वजह से सभी की भक्ति को कठघरे में खड़ा करना बड़ी नाइंसाफीं होगी और ऐसा कोई कर भी नहीं रहा। पर सवाल ये है कि इस मुल्क से मुहब्बत है तो किसी भी तरह की हिंसा का विरोध हमें बेधड़क करना होगा...आखिर हुड़दंगियों की हिंसा को ढँकने के लिए क्यूँ मिले धर्म की चादर ? और कांवड़ियों के भेस में हुड़दंगी धर्म की कैसी तस्वीर पेश कर रहे हैं? बेशक कुछ कांवड़ियों की गुंडागर्दी की वजह से सभी की भक्ति को कठघरे में खड़ा करना बड़ा अन्याय होगा। न जाने कितने आस्थावान शिव भक्त ऐसे हैं जो बिना किसी को परेशान किए अपनी भक्ति में लीन रहते हैं। पर ये संदेश भी ज़रूरी है कि अराजकता फैलाने वालों को धर्म की चादर ओढ़ने को नहीं मिलेगी । इस मुल्क से मुहब्बत है तो किसी भी तरह की हिंसा का विरोध बेधड़क करना होगा जो हममें से ज़्यादातर आज कर भी रहे हैं। जो हिंसा कर रहा है वो धार्मिक तो हो ही नहीं सकता, जो हिंसक हो गया वो तो पहले ही अपने धर्म से दग़ाबाज़ी कर चुका है, उसे किसी धर्म से जोड़ कर देखना ही नाइंसाफ़ी होगी । 
कोई भी सच्चा इंसान...हिंसक घटनाओं को देख कर ऐसे ही व्यथित होगा...अगर आप नहीं हो रहे...या फिर आज ऐसा लिखने वालों को ट्रोल कर ये याद दिला रहे हैं कि आप तब क्यूँ नहीं बोले...अब क्यूँ बोले तो समझ लीजिए कि इंसानियत मर रही है अंदर ही अंदर...और “धार्मिक उन्माद” हावी हो रहा है।