हम और आप बचपन से सुनते आए हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई क्रिकेट मैच ,मैच नहीं होता...दो देशों के बीच जंग होती है....देखते आए हैं इस जंग को देखने के लिए लोगों की दीवानगी....गवाह बने हैं उन लम्हों के जब भारत पाक मैच देखने के लिए सड़कें सूनी हो जातीं थीं....लोग अपना काम धाम छोड़कर , छुट्टी लेकर घर बैठ जाते थे कि भई आज तो मैच है...आज कोई काम नहीं......लेकिन आज जब पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने हमारे खिलाड़ियों का आईपीएल से पत्ता साफ करवाके हमारे साथ धोखा किया है....हम भी ईंट का जवाब पत्थर से देंगे.....पाकिस्तान में नहीं होने दिया जाएगा आईपीएल के मैचों का प्रसारण.....तो एक झटका सा लगा...मन के एक कोने में साल 2006 की वो तस्वीर अचानक उभर आई जब भारत पाकिस्तान के बीच लाहौर में खेले जाने वाले तीसरे वनडे मैच के बाद , तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अपने, झारखंड के लाल, धोनी की बल्लेबाजी के साथ साथ उनके हेयर स्टाइल के भी कायल हो गए थे.....और कहा था कि "आप अगर मेरी मानें तो अपने बाल न कटवाइएगा क्योंकि इस हेयर स्टाइल में आप अच्छे दिखते हैं...,"न जाने क्यूं उन तस्वीरों को देखने के बाद ऐसा लगा था ....कि बस अब भारत पाकिस्तान के बीच सब कुछ ठीक हो जाएगा......लेकिन नहीं उस लम्हे में क्रिकेट के जरिए दोनों देशों के रिश्तों को एक बेहतर मकाम पर पहुंचाने का सपना मेरी तरह , जिस जिसने भी देखा... वो आज चकना चूर हो गया.....
दिल में ये ख्याल भी आया कि इस बार झगड़े की शुरूआत तो हमने ही की है.....जरा सोचिए पाकिस्तान के उन दिग्गज 11 खिलाड़ियों के लिए ये कितनी बेइज्जती की बात है कि पहले तो उन्हें बिडिंग प्रॉसेस में शामिल किया जाता है और फिर एक तगड़ा झटका देते हुए, किसी भी खिलाड़ी को इस लायक नहीं समझा जाता कि वो किसी टीम का हिस्सा बनें.....आखिर क्या गलती है इन खिलाड़ियों की....क्या कमी रह गई इनकी परफॉर्मेंस में ....क्या वजह है कि ऑस्ट्रेलिया के एक रिटायर्ड खिलाड़ी डेमियन मार्टिन तक को हाथों हाथ खरीद लिया जाता है और धुआंधार बल्लेबाज और लाखों दिलों की धड़कन माने जाने वाले शाहिद अफरीदी मुंह ताकते रह जाते हैं .....आखिर क्या कसूर हैं इनका सिवाय इसके कि ये आंतकवादी देश करार दिए जा चुके पाकिस्तान से ताल्लुक रखते हैं....आखिर पाकिस्तान की हुकूमत और वहां पैर जमाए बैठे आंतक के आकाओं की करनी का खामियाजा इन्हें क्यों भुगतना पड़े..... क्या गलत कहते हैं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान रमीज़ राजा कि हालात का अंदाजा पहले से ही भांपकर , पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को अपने खिलाड़ियों को आईपीएल की बिडिंग में शामिल ही नहीं होने देना चाहिए था....
सरकार कहती है कि IPL एक प्राइवेट बॉडी है और इससे सरकार के फैसले से कोई लेना देना नहीं है....लेकिन अपने आप में ये बात हजम करना हमारे आपके लिए थोड़ा नहीं, बहुत मुश्किल है कि बिना सरकारी दबाव के IPL के फ्रेंचाईज़ीस ने पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को लेकर इतनी बेरूखी दिखाई......और उन्हें सिरे से खारिज कर दिया
बहराहाल आज अपने खिलाड़ियों की बेइज्जती के बाद जिस तरह का बयान पाकिस्तान की तरफ से आया है उसने भले ही वहां के खिलाड़ियों के हरे हरे जख्मों पर मरहम का काम किया हो...लेकिन उन्हें ये भी जान लेना चाहिए कि गलती भारत की नहीं ....कमी उनके खेल में भी कतई नहीं ....गलती है उस देश की हुकूमत की है...जहां के ये बाशिंदे हैं....वो हुकूमत जो अपने खिलाड़ियों की कब्र खोदकर , उनके साथ खड़े होने का दिखावटी नाटक कर रही है और आईपीएल मैचों पर पाबंदी लगाने की धमकी देकर अपने ही देश की आवाम का दिल तोड़ रही है
5 comments:
सही कहा सर आपने बुरा मुझे भी लगा जब पाक खिलाड़ियों के साथ ऐसा सलूक हुआ लेकिन..यह सलूक वहां की हूकूमत के लिए बिल्कुल सही है..एक के बाद एक बयान आ रहे पाक सरकार से..कैसे तिलमिला गई है वहां की सरकार..
आपकी याददाश्त बहुत कमजोर है ,२६/११ भूल गये ?? वो जख्म पर जख्म देते रहें हम दोस्ती दोस्ती करते रहें । कहीं तो विरोध होना चाहिये । बल्कि टीम मालिकों को खुलकर कहना चाहिये कि हां हमने इसलिये ऐसा किया । खेल में राजनीति नही होना चाहिये , लेकिन देशभक्ति तो होनी चाहिये ।
यदि आप दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्धों की आशा लगाये बैठे हैं तब तो वाकई आप बहुत भोले हैं…। पाकिस्तान को मेरी सलाह है कि उन्हें भी अपने देश में उनका राष्ट्रीय खेल PTL (पाकिस्तानी टेरेरिस्ट लीग) शुरु कर देना चाहिये… अमेरिका की टीम उसमें निश्चित भाग लेगी… :)
आई पी एल खेल नहीं, व्यापार है. माल जिन लोगों के बीच बेचना है, उनकी पसंद और उनकी नफरत बाजार तय करती है. अमन कायम करने के सभी रास्ते तो नाकामयाब रहे और २६/११ जैसा हादसा कैसे इस देश की जनता इतनी जल्दी भूल जायेगी.
माना कि खिलाड़ियों का इसमें क्या दोष मगर उस धरती से जुड़े होने का खामिजयाना तो भुगतना ही होगा.
शायद भविष्य में कुछ बेहतर हो लेकिन अभी तो हालात अच्छे नहीं लगते. एक उम्मीद फिर भी बाकी है अभी...
आखिर अन्य मंचों से, रियालिटि शो वगैरह से हम आज भी मुक्त हृदय स्वागत कर ही रहे हैं.
सही कहा उड़न तशतरी जी ने आई.पी.अल व्यापार है,और में कहता हूँ,आई.पी.एल असली खेल ही कहाँ हैं,बस कोमरशियलाईजेशन है ।
Post a Comment