Thursday 7 January 2010

26/11 से 6/1 तक, कुछ नहीं बदला

26 11 --- शायद इस तारीख को बताने के बाद इस दिन के बारे में कहने को कुछ रह नही जाता, उस काली रात को भी मैं IBN7 के स्टूडियो में था.....अचानक खबर आई....कि मुंबई में फायरिंग हुई है...मुझे और मुंबई में मौजूद मेरे सहयोगी को कुछ पलों के लिए लगा कि ये गैंगवॉर है ..लेकिन कुछ ही मिनट में सब कुछ साफ हो गया। आज भी सोच कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं....उस वक्त हुआ था देश पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला....जो पाकिस्तान की शह पर वहां बैठे आतंक के आकाओं ने कराया था....और फिर आया नया साल, 2010... तारीख 26/11 से बदलकर 6/1 हो चुकी थी...दोपहर का वक्त था मैं अपने एक सहयोगी से एंकरिंग के 2 घंटे के ब्रेक के दौरान बात ही कर रहा था कि यार कश्मीर जाने का बहुत मन कर रहा है क्या शानदार बर्फबारी हो रही है ...देख देख कर दिल में टीस सी उठ रही है....स्टूडियो में बैठ कर श्रीनगर में मौजूद अपने रिपोर्टर खालिद से कैमरामैन के जरिए खूबसूरत तस्वीरों को दिखाने की गुजारिश ही करता रहूंगा या कहीं जाउंगा भी.....तभी कहा गया ब्रेकिंग न्यूज है....मैने कहा क्या हो गया.....स्टूडियो की सीढियां चढ़ते हुए बस इतना सुन पाया कि श्रीनगर में कुछ हुआ है......पीसीआर में दाखिल होते होते खबर बहुत हद तक साफ हो चुकी थी....ये भी एक आतंकी हमला ही था...

कुछ देर पहले तक बर्फबारी की खूबसूरत तस्वीरें दिखाने वाले खालिद अब गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच लाल चौक पर खडे थे....कभी झुकते हुए कभी सुरक्षाबलों की डांट सुनते हुए.....हटिए ...दूर हटिए.....यहां खतरा है....मैं लगातार सवाल पर सवाल दाग रहा था और खालिद अपनी भर्राई आवाज में जवाब दे रहे थे....अपनी जान पर खेलकर.....लेकिन इन सवालों के साथ मन के किसी कोने में कुछ और सवाल भी उठ रहे थे...... क्या यार कब तक हम इसी तरह इन आतंकी हमलों की खबर पढ़ते रहेंगे....क्या करती रहती हैं हमारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां......अभी कुछ देर पहले तक कितना खुशगवार नजर आ रहा था हमारा कश्मीर....अब देखो कैसा सन्नाटा पसर गया है सड़कों पर....कैसे कुछ देर पहले बर्फ में अटखेलियां करने वाले टूरिस्ट जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे हैं....एक पल को ये भी ख्याल आया कि अच्छा हुआ कश्मीर गया नहीं , स्टूडियो में लगे प्लाज्मा से ही कश्मीर की खूबसूरती निहारना फायदेमंद रहा....पर फौरन मन ने पलटी मारी.....कहा इन आतंकियों की तो ऐसी की तैसी....कुछ देर बाद मेरे साथ लाइव मौजूद सीआरपीएफ के डीआईजी ने भी यही कहा...इन आतंकियों की तो ऐसी की तैसी....हां एक बात और....जिसने अभी अभी पैदा हुआ कश्मीर जाने का डर मार दिया......खालिद ने उनसे पूछा डीआईजी साहब कितना वक्त है आपके पास....डीआईजी साहब बोले वक्त तो हमारे पास बहुत है ...पूछिए...उनके पास कितना वक्त है....लगता है खुदा ने उनकी जिंदगी के चंद लम्हे बाकी रखे हैं सो वो , वही काट रहे हैं....बस वो लम्हे उन्हें काट लेने दीजिए....फिर उनका खेल खत्म......

इन दो लाइनों ने दो काम किए....एक तो डर दिल से निकल गया , दूसरे इस सवाल का जवाब मिल गया कि क्या करती हैं हमारी सुरक्षा एजेंसियां....करीब 20 घंटे के बाद आंतकियों की पनाहगाह बन चुके न्यू पंजाब होटेल से आग की लपटें धधकती नजर आईं....दिल में एक टीस सी हुई...और जेहन में जलते हुए ताज की तस्वीर घूम गई....पर खुदा का शुक्र था कि 2 घंटे में ही वो खबर आ गई जिसका मेरे साथ साथ देश के तमाम लोगों को इंतजार था.....होटल में लगी आग दहशतगर्दों की जिंदगी बचाने की आखिरी नाकाम कोशिश थी.....चंद पलों में ही खुशखबरी आ चुकी थी.....वैसे तो किसी की मौत की खबर खुशखबरी कहना अजीब लगता है पर दहशतगर्द इसी लायक हैं.....हमने शान से सुरक्षाबलों के हौसले को सलाम करते हुए दुनिया को बताया कि लो एक बार फिर हमने देश में सिर उठा रही आतंकी फितरत को कुचल डाला.....चंद ही लम्हे गुजरे थे...ये भी पता चल गया कि मुंबई पर हुए हमले की तरह ही ये आतंकी भी सरहद पार पाकिस्तान में बैठे आंतक के आकाओं की कठपुतली ही थे...

जी हां 26/11 से 6/1 तक हमारे देश और पूरी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी के दबाव के बाद भी पाकिस्तान नहीं बदला....बार बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान नहीं बदला.....देखिए कब तक हमें भुगतनी पड़ती है एक आतंकवादी देश के पड़ोसी होने की सजा

1 comment:

Unknown said...

Hi, Samir how r u? Here my self sachin sahu ( from Shia P.G College)

please mail me or send me my your number on mail id "say2sach@gm.gmail.com"

Thanks