Friday 6 December 2013

क्या इतने भर से ही वो महान नहीं हो जाता ???

एक ऐसा नेता जो दिखता बिल्कुकुल आम आदमी है प्रबुद्ध वर्ग से आता है, IIT से पास आउट है, IRS अफसर रह चुका है ,जिसने पूरी बहादुरी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर हुक्मरानों को दहला दिया, लोगों में उम्मीद जगाई। हजारों करोड़ पानी में बहाने वाली पार्टियों को बतला दिया कि व्हाइट मनी से चुनाव कैसे लड़ा जाता है , सालों से पैर जमाए बैठी बड़ी बड़ी पार्टियों को जतला दिया कि संगठन कैसे खड़ा किया जाता है। वो हारे या जीते, क्या इतनी कामयाबी ही किसी शख्स को महान नहीं बना देती ? क्या बस इतनी कामयाबी के बाद ही हिंदुस्तान की राजनीति का इतिहास बिना उसका नाम लिए लिखा जा सकेगा ?