ये क्या हो गया है कांग्रेस पार्टी को, क्यों पार्टी के सारे के सारे नेताओं को अचानक अमिताभ बच्चन तो क्या पूरे के पूरे बच्चन परिवार से अलर्जी हो गई है। हद तो तब हो गई जब कांग्रेस ने सीधे सीधे बिग बी से सवाल करते हुए ये कहा कि वो देश के लोगों को बताएं कि गुजरात दंगों और उसमें नरेंद्र मोदी की भूमिका पर उनकी राय क्या है। गोया अमिताभ न हुए ,बीजेपी के कोई नेता हो गए। अरे भई मैं पूछता हूं आप होते कौन हैं उनसे ये सवाल पूछने वाले । आखिर किस हैसियत से देश की एक पॉलिटिकल पार्टी एक नॉन पॉलिटिकल इंसान से ये सवाल पूछ रही है ? पार्टी के नेता मनीष तिवारी तीखे तेवर दिखाते हुए कहते हैं कि अगर अमिताभ बच्चन गुजरात के ब्रांड अंबैसडर हैं तो उन्हें दंगों और मोदी पर अपनी सोच जाहिर करनी होगी....पहले तो वो ये जान लें कि अमिताभ गुजरात के नहीं गुजरात टूरिज्म के ब्रैंड अंबैसडर हैं....और देश को ये बताएं कि करोड़ों लोगों के चहीते इस सितारे से पार्टी आखिर किस हैसियत से ये सवाल पूछ रही है। और अमिताभ कांग्रेस के किसी सवाल का जवाब भला क्यों दें। अगर अमिताभ बच्चन की जगह कोई और इंसान गुजरात टूरिज्म का ब्रैंड अंबैसडर होता तो भी क्या कांग्रेस पार्टी उससे ये सवाल करती ।
पिछले कुछ दिनों से लगातार अमिताभ को लेकर जिस तरह की राजनीति कांग्रेस ने की है उसने मुझे शिवसेना और एमएनएस सरीखी पार्टियों की याद दिला दी। बिना किसी बात के इस तरह के तीखे बोल बोलने का जिम्मा तो तो अभी तक देश की इन्ही पार्टियों ने अपने हाथ में ले रखा था लेकिन अब कांग्रेस वाले भी न जाने क्यों इनके नक्शे कदम पर चलने को बेताब हैं। तभी तो सी लिंक के उद्घघाटन समारोह में अमिताभ के साथ मंच पर बैठ कर ठहाके लगाने वाले कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण चंद घंटों के बाद ही उनकी बेइज्जती कर ये कहते नजर आते हैं कि अगर उन्हें पता होता कि अमिताभ यहां आने वाले हैं तो वो वहां जाते ही नहीं । मानो अमिताभ न हो गए कोई कटाऊ हो गए। सालों का रिवाज तोड़ते हुए पुणे के मशहूर मराठा साहित्य सम्मेलन के समापन समारोह से वो एक दिन पहले ही पहुंच जाते हैं इस डर से कि इस समारोह में भी मुख्य अतिथि अमिताभ बच्चन ही थे, तो कहीं फिर से उनका सामना न पड़ जाए । दलील वही कि अमिताभ से परहेज इसलिए नहीं कि वो अमिताभ बच्चन हैं , परहेज इसलिए क्योंकि वो गुजरात से जुड़े हैं , नरेंद्र मोदी से जुड़े हैं । कम ही लोग जानते होंगे कि ये वही अशोक चव्हाण हैं जिनके चुनाव प्रचार के लिए बिग बी खुद एक जमाने में नांदेड़ जा चुके हैं
2002 के गुजरात दंगे देश के माथे पर कलंक हैं , इस देश के लिए सबसे बड़ा शर्म हैं और इन दंगों में उस वक्त के और मौजूदा सीएम नरेंद्र मोदी की कितनी और कैसी भूमिका थी ये देश को बताने की जरूरत भी नहीं । लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हम तालिबान बनकर किसी को उस राज्य का पर्यटन प्रमोट करने से ही रोक दें । उस राज्य के साथ जुड़ने वाले हर एक शख्स पर सांप्रदायिक होने का ठप्पा लगा दें। देश के मुसलमानों को खुश करने में लगी कांग्रेस शायद ये भूल रही है कि ऐसा करके वो, दरअसल हर एक मुद्दे को 5 करोड़ गुजरातियों की अस्मिता से जोड़ने वाले नरेंद्र मोदी के हाथ में एक हथियार सौंप रही है , एक ऐसा हथियार जिसकी धार, धर्म की राजनीति में माहिर ये नेता अमिताभ के बहाने अपनी वेबसाइट पर कांग्रेसियों को गुजरात विरोधी और विकृत मानसिकता वाला साबित करके दिखा भी चुका है ।
Monday 29 March 2010
Tuesday 23 March 2010
महिला आरक्षण और मुलायम की सीटी
लगता है किसी जमाने में खूबसूरत लड़कियों को देखकर सीटियां मारना मुलायम का शौक रहा है तभी नेताजी को लगता है कि महिला आरक्षण के बाद संसद में ऐसी महिलाएं आएंगी जिन्हें देखकर लोग (जाहिर है बात संसद की हो रही है तो सांसद) सीटी बजाएंगे। एक प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय सरकार में देश की रक्षा की जिम्मेदारी संभाल चुके मुलायम सिंह यादव सरीखे नेता के इस आपत्तिजनक बयान को सुनकर सबसे पहले एक ही सवाल जेहन में आया । क्या थोड़े दिनों पहले तक फिरोजाबाद के गली कूचे में घूम घूमकर लोगों से वोट मांगता पूरा यादव परिवार अपनी बहू डिंपल यादव को इसीलिए संसद तक पहुंचाने का ख्वाब देख रहा था कि बहू संसद तक पहुंच जाए और लोग उसे देखकर सीटियां मारें या फिर फिरोजाबाद की सांसदी, राज बब्बर से 85000 वोटों से हारने के बाद यादव परिवार ने घर में खुशियां मनाईं होंगी कि चलो अब न तो बहू डिंपल संसद तक पहुंचेगी और ना ही कोई उसे सीटियां मारेगा, अच्छा हुआ घर की इज्जत घर में ही रह गई ।
वाकई शर्म आती है इस देश के मुलायम सरीखे नेताओं पर , रोना आता है इनकी राजनीति पर और अफसोस होता है इनकी उस सोच पर जो विकास के पथ पर सरपट दौड़ते देश की टांगे खींचकर उसे पीछे ले जाने पर तुली है । मुलायम के कद के किसी भी नेता ने इस देश में आज तक सार्वजनिक मंच से महिलाओं की इतनी बेइज्जती इससे पहले कभी नहीं की । और इसमें कोई शक नहीं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ये बयान देते हुए मुलायम के कठोर मन में मुस्लिम और पिछड़ों के वोट बैंक के अलावा और कुछ नहीं घूम रहा था । वैसे अच्छा ही है जो खुद को महिला विरोधी कहने से बिदकने वाले मुलायम ने अपना असली चेहरा दुनिया को दिखा दिया.... द्रौपदी को नारी शक्ति का पर्याय बताने वाले प्रख्यात समाजवादी राम मनोहर लोहिया आज होते तो रो रहे होते अपने इस समाजवादी चेले की सोच पर, खास बात ये है कि मुलायम ने ये शर्मनाक बयान लखनऊ में इन्हीं डा.लोहिया की सौंवी जयंती के मौके पर दिया जिन्हें वो अपना पुरोधा बताते हुए राजनीति करते हैं लेकिन अस्ल में उनके विचारों को कबका दफना चुके हैं ।
मुलायम कहते हैं अगर महिला आरक्षण लागू हो गया तो महिलाएं चुन कर आएंगी उद्योगपतियों और बड़े अफसरों की और संसद में लड़के उन्हें देखकर सीटियां बजाएंगे । कोई समझाए इन्हें कि आखिर 33 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद इन्हें अपनी पार्टी में गरीब गुरबा पिछड़ी महिलाओं को टिकट देने से रोका किसने है जो आरक्षण के नाम से बिलबिलाकर , तमाम मर्यादाओं को लांघते हुए वो ऐसा बयान दे रहे हैं वो भी उस दौर में जब मौजूदा 15 वीं लोकसभा में देश के लोगों ने 59 महिला सांसदों को संसद में अपनी नुमाइंदगी का हक दिया है । क्या मुलायम सिंह यादव अपने इस शर्मनाक बयान के बाद इन 59 महिला सांसदों में से अपनी पार्टी की 4 सांसदों की भी आंखों में आंखे डालकर देखने की कुवत रख पाएंगे , क्या वो उनसे पूछने की हिम्मत कर पाएंगे कि अब तक कितनी बार संसद के अंदर उन्हें सांसदों ने सीटियां मारी हैं ।
नेता जी जागिए और समाजवाद की आड़ में सिर्फ मुसलमानों और पिछड़ों की राजनीति करना बंद कीजिए क्योंकि अब देश की जनता इस तरह की ओछी राजनीति से बाज आना चाहती है। हाज़में की गोली खाइए और इस सच्चाई को हज़म कीजिए कि आपके और आप जैसे चंद नेताओं की नौटंकी के बाद भी राज्यसभा में महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई आऱक्षण मिलने का रास्ता साफ हो चुका है और वो दिन दूर नहीं जब देश की जनता 180 महिलाओं को अपना सरपरस्त चुनकर लोकसभा तक पहुंचाने वाली है । वाकई इंतेजार रहेगा उस दिन का क्योंकि वो दिन महिलाओं को हमेशा दबा कर रखने वाली इस पुरूषवादी सोच पर सबसे बड़ा तमाचा होगा..आमीन
वाकई शर्म आती है इस देश के मुलायम सरीखे नेताओं पर , रोना आता है इनकी राजनीति पर और अफसोस होता है इनकी उस सोच पर जो विकास के पथ पर सरपट दौड़ते देश की टांगे खींचकर उसे पीछे ले जाने पर तुली है । मुलायम के कद के किसी भी नेता ने इस देश में आज तक सार्वजनिक मंच से महिलाओं की इतनी बेइज्जती इससे पहले कभी नहीं की । और इसमें कोई शक नहीं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ये बयान देते हुए मुलायम के कठोर मन में मुस्लिम और पिछड़ों के वोट बैंक के अलावा और कुछ नहीं घूम रहा था । वैसे अच्छा ही है जो खुद को महिला विरोधी कहने से बिदकने वाले मुलायम ने अपना असली चेहरा दुनिया को दिखा दिया.... द्रौपदी को नारी शक्ति का पर्याय बताने वाले प्रख्यात समाजवादी राम मनोहर लोहिया आज होते तो रो रहे होते अपने इस समाजवादी चेले की सोच पर, खास बात ये है कि मुलायम ने ये शर्मनाक बयान लखनऊ में इन्हीं डा.लोहिया की सौंवी जयंती के मौके पर दिया जिन्हें वो अपना पुरोधा बताते हुए राजनीति करते हैं लेकिन अस्ल में उनके विचारों को कबका दफना चुके हैं ।
मुलायम कहते हैं अगर महिला आरक्षण लागू हो गया तो महिलाएं चुन कर आएंगी उद्योगपतियों और बड़े अफसरों की और संसद में लड़के उन्हें देखकर सीटियां बजाएंगे । कोई समझाए इन्हें कि आखिर 33 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद इन्हें अपनी पार्टी में गरीब गुरबा पिछड़ी महिलाओं को टिकट देने से रोका किसने है जो आरक्षण के नाम से बिलबिलाकर , तमाम मर्यादाओं को लांघते हुए वो ऐसा बयान दे रहे हैं वो भी उस दौर में जब मौजूदा 15 वीं लोकसभा में देश के लोगों ने 59 महिला सांसदों को संसद में अपनी नुमाइंदगी का हक दिया है । क्या मुलायम सिंह यादव अपने इस शर्मनाक बयान के बाद इन 59 महिला सांसदों में से अपनी पार्टी की 4 सांसदों की भी आंखों में आंखे डालकर देखने की कुवत रख पाएंगे , क्या वो उनसे पूछने की हिम्मत कर पाएंगे कि अब तक कितनी बार संसद के अंदर उन्हें सांसदों ने सीटियां मारी हैं ।
नेता जी जागिए और समाजवाद की आड़ में सिर्फ मुसलमानों और पिछड़ों की राजनीति करना बंद कीजिए क्योंकि अब देश की जनता इस तरह की ओछी राजनीति से बाज आना चाहती है। हाज़में की गोली खाइए और इस सच्चाई को हज़म कीजिए कि आपके और आप जैसे चंद नेताओं की नौटंकी के बाद भी राज्यसभा में महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई आऱक्षण मिलने का रास्ता साफ हो चुका है और वो दिन दूर नहीं जब देश की जनता 180 महिलाओं को अपना सरपरस्त चुनकर लोकसभा तक पहुंचाने वाली है । वाकई इंतेजार रहेगा उस दिन का क्योंकि वो दिन महिलाओं को हमेशा दबा कर रखने वाली इस पुरूषवादी सोच पर सबसे बड़ा तमाचा होगा..आमीन
Sunday 21 March 2010
हम नहीं सुधरेंगे !
संडे को फनडे कहा जाता है आमतौर पर इस दिन लोगों की छुट्टियां होती हैं...पर मैं उन खुशनसीबों में से नहीं..बहरहाल इस रोने धोने का तो कभी अंत होगा नहीं...सो आगे बढ़ते हैं । मन मार कर घर से निकला और ऑफिस पहुंचते ही एक खौफनाक खबर मिली किंगफिशर एअरलाइंस में बम की । खुदा का लाख लाख शुक्र था कि थोड़ी देर में ही ये साफ हो गया कि बम को डिफ्यूज कर दिया गया है और सभी यात्री बाल बाल बच गए पर बार बार जेहन में ये ख्याल आ रहा था कि आज क्या हो सकता था, फिर सोचा कि आतंकवादी चाहे जितनी धमकी दे लें हम नहीं बदलेंगे , आंतकवाद हमारा चाहे जितना कुछ बिगाड़ लें हम नहीं बदलेंगे। ये जानते हुए भी कि मौजूदा दौर के आंतकवाद में सबसे बड़ा खतरा हवाई सुरक्षा को है हम नहीं बदलेंगे । अगर ऐसा न होता तो अखबार में लिपटा एक देसी बम तिरूअनंतपुरम से 753 किलोमीटर की हवाई यात्रा करता हुआ बैंगलोर न पहुंच जाता । प्लेन में बम रखने की साजिश किसकी थी...क्या ये किसी आतंकी संगठन का काम था...या फिर किसी सिरफिरे की करतूत ये तमाम सवाल फिलहाल बेमानी हैं । सबसे बड़ा सवाल फिलहाल यही है कि हम कब सुधरेंगे ?
देश के लिए नासूर बन चुके देसी विदेशी आतंकियों की हवाई हमले की धंमकी और देश भर के सारे एअरपोर्ट को अलर्ट पर रखने के बाद भी न तो कुकुरमुत्ते की तरह उग आईं प्राइवेट एअरलाइंस के सेक्योरिटी स्टाफ के रवैये में कोई बदलाव आया है और न ही देश भर में एअरपोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सीआईएसएफ के जवान ही चौकन्ना हुए हैं । जरा सोचिए हवा में जमीन से हजारों फीट ऊपर अगर ये बम फट जाता तो क्या होता ... सोच कर भी मेरी रूह कांप उठती है तो इस विमान से तिरूअनंतपुरम से बैंगलोर तक का सफर तय करने वालों पर क्या गुजरी होगी जब उन्हें पता चला होगा कि उनके बैगेज के साथ साथ एक जिंदा बम भी इस सफर में उनका हमसफर था...यकीनन सुरक्षा में इस तरह की चूक करने वालों का जुर्म उन आंतकियों से किसी मायने में कम नहीं है जो जगह जगह धमाके कर मासूमों की जान लेने में अपना फख्र समझते हैं , अगर ये साबित हो जाए कि किसी सेक्योरिटी स्टाफ ने जानबूझकर प्लेन में बम रखने वाले का साथ दिया। ये बात बार बार जेहन में इसलिए आती है क्योंकि बिना किसी स्टाफ के मिले ऐसा कैसे संभव हो सकता है
जब भी हम किसी हवाई यात्रा के लिए एअरपोर्ट पर जाते हैं तो प्लेन में चढ़ने से पहले यात्रियों और उनके सामान की दो बार स्क्रीनिंग की जाती है । एयरपोर्ट में दाखिल होते ही यात्रियों और उनके सामान को मेटल डिटेक्टर और स्कैनर से जांचा जाता है ये काम अममून प्राइवेट एअरलाइंस के सेक्योरिटी स्टाफ का होता है , दूसरे चरण में सीआईएसएफ के जवान यात्री की पूरी तलाशी लेते हैं...यात्री के हैंड बैगेज की एक्सरे जांच होती है...किसने क्या किया और क्यों किया ये जांच का विषय हो सकता है लेकिन इतना तो तय है कि चूक इन दोनों से हुई है और कोई भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता । दरअसल मानिए या न मानिए अब वक्त आ गया है कि विदेशी एअरपोर्ट्स पर अपने वीवीआईपीज़ की सुरक्षा जांच से बिलबिलाकर बयानबाजी करने की बजाय हम अपनी गिरेबान में झांक कर देखें और अपनी खामियों पर पर्दा डालने की बजाए उन्हें जड़ से खत्म करने की सोचे ताकि फिर कभी कोई देश की सुरक्षा से इतना बड़ा खिलवाड़ करने की जुर्रत न कर पाए , ताकि इस देश के अंदर हम खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएं और मेरे जैसा पत्रकार कभी ये न कह पाए कि चाहे जो कुछ हो जाए हम नहीं सुधरेंगे ।
देश के लिए नासूर बन चुके देसी विदेशी आतंकियों की हवाई हमले की धंमकी और देश भर के सारे एअरपोर्ट को अलर्ट पर रखने के बाद भी न तो कुकुरमुत्ते की तरह उग आईं प्राइवेट एअरलाइंस के सेक्योरिटी स्टाफ के रवैये में कोई बदलाव आया है और न ही देश भर में एअरपोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सीआईएसएफ के जवान ही चौकन्ना हुए हैं । जरा सोचिए हवा में जमीन से हजारों फीट ऊपर अगर ये बम फट जाता तो क्या होता ... सोच कर भी मेरी रूह कांप उठती है तो इस विमान से तिरूअनंतपुरम से बैंगलोर तक का सफर तय करने वालों पर क्या गुजरी होगी जब उन्हें पता चला होगा कि उनके बैगेज के साथ साथ एक जिंदा बम भी इस सफर में उनका हमसफर था...यकीनन सुरक्षा में इस तरह की चूक करने वालों का जुर्म उन आंतकियों से किसी मायने में कम नहीं है जो जगह जगह धमाके कर मासूमों की जान लेने में अपना फख्र समझते हैं , अगर ये साबित हो जाए कि किसी सेक्योरिटी स्टाफ ने जानबूझकर प्लेन में बम रखने वाले का साथ दिया। ये बात बार बार जेहन में इसलिए आती है क्योंकि बिना किसी स्टाफ के मिले ऐसा कैसे संभव हो सकता है
जब भी हम किसी हवाई यात्रा के लिए एअरपोर्ट पर जाते हैं तो प्लेन में चढ़ने से पहले यात्रियों और उनके सामान की दो बार स्क्रीनिंग की जाती है । एयरपोर्ट में दाखिल होते ही यात्रियों और उनके सामान को मेटल डिटेक्टर और स्कैनर से जांचा जाता है ये काम अममून प्राइवेट एअरलाइंस के सेक्योरिटी स्टाफ का होता है , दूसरे चरण में सीआईएसएफ के जवान यात्री की पूरी तलाशी लेते हैं...यात्री के हैंड बैगेज की एक्सरे जांच होती है...किसने क्या किया और क्यों किया ये जांच का विषय हो सकता है लेकिन इतना तो तय है कि चूक इन दोनों से हुई है और कोई भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकता । दरअसल मानिए या न मानिए अब वक्त आ गया है कि विदेशी एअरपोर्ट्स पर अपने वीवीआईपीज़ की सुरक्षा जांच से बिलबिलाकर बयानबाजी करने की बजाय हम अपनी गिरेबान में झांक कर देखें और अपनी खामियों पर पर्दा डालने की बजाए उन्हें जड़ से खत्म करने की सोचे ताकि फिर कभी कोई देश की सुरक्षा से इतना बड़ा खिलवाड़ करने की जुर्रत न कर पाए , ताकि इस देश के अंदर हम खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएं और मेरे जैसा पत्रकार कभी ये न कह पाए कि चाहे जो कुछ हो जाए हम नहीं सुधरेंगे ।
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