Wednesday 27 January 2010

ठेके पर जीवनसाथी !

हमारे यहां कहा जाता है कि 'रिश्ते' आसमान में बनते हैं , जब जब , जिस जिससे , जिसको मिलना है मिल जाएगा और जब वो आपको मिलेगा तो खुद ब खुद आपको इस बात का अहसास हो जाएगा कि हां, यही है मेरी मंजिल। माना कि कुछ को ये बातें ख्याली लग सकती हैं लेकिन कम से कम मेरा निजी अनुभव तो यही कहता है कि ये बातें बहुद हद तक सच हैं.....

बहरहाल कुछ दिनों पहले एंजिलिना जोली और ब्रैड पिट के रिश्तों में दरार की खबरें पढ़ीं तो हैरत तो हुई क्योंकि सामाजिक सरोकारों से जुड़े हर मुद्दे पर ये दोनों हमेशा एक साथ नजर आते थे , उन्हें देखकर हर कोई कहता - Made For Each Other , देखों दोनों कितना एक सा सोचते हैं......लेकिन नहीं इनके रिश्ते का हश्र भी वही हुआ जो हॉलीवुड के ज्यादातर जोड़ों का हुआ....फिर दिल ने कहा अरे जनाब छोड़िए ...ये तो हॉलीवुड का रिवाज है, एक जमाने में ब्रैडपिट और जेनिफर एनिस्टन के लिए भी तो यही कहा जाता था , पर एंजिलिना से मिलने के बाद ब्रैड ने जेनिफर को पीछे मुड़ के कहां देखा....अब एक बार फिर कहानी खुद को दोहरा रही है । ब्रैंजिलिना के नाम से मशहूर ये जोड़ी भी टूट की कगार पर है। दिल के साथ साथ बंटवारा किया जा रहा है 6 बच्चों की कस्टडी का , और उससे भी अहम ....बंटवारा किया जा रहा है हजारों करोड़ की अकूत संपत्ति का ।

बंटवारा, फिर हॉलीवुड के एक जोड़े के बीच बंटवारा...यकीन जानिए जब इस खबर की तह तक गया तो दिल टूट गया, मन के तार आपस में उलझ गए और लगने लगा कि सफलता की सीढियां चढ़ते चढ़ते क्या एक दिन हमारे लिए भी रिश्ते नातों के कोई मायने नहीं रह जाएंगे , फिर तो बात बात में वेस्टर्न कंट्रीज़ से इंसपिरेशन लेने की अपनी आदत से भी नफरत होने लगी
और ये सब तब हुआ जब पता चला कि हॉलीवुड के ज्यादातर मियां बीवी के रिश्ते तो ठेके पर चल रहे हैं ।

यहां की अब तक की सबसे नामचीन पॉप सिंगर मानी जाने वाली और जिंदगी के 50 सावन देख चुकी मडोना ने तो अपने पूर्व पति गाय रिची से शादी करने से पहले हुए करार में ये तक लिखवा लिया था कि दोनों एक दूसरे को कितना वक्त देंगे, कितनी बार शारीरिक संबंध बनाएंगे और अगर किसी की बात किसी को बुरी लग जाएगी तो चिल्लाने का हक किसी के पास नहीं होगा....आखिर किसी की सुनने का आजकल किसी में माद्दा कहां है ?

फिर तो निकोल किडमैन से अपने सारे रिश्ते नाते तोड़ चुके टॉम क्रूज भी याद आए जिन्होंनें अपनी मौजूदा पत्नी केटी होम्स के साथ अपनी शादी के 3 साल के करार को अभी अभी आगे बढ़ाया है लेकिन नए करार में केटी ने हर साल के खर्चे को करीब करीब दोगुना करते हुए 10 करोड़ रूपये सालाना की मांग की है। वैसे बताता चलूं कि ये वही केटी हैं जिन्होंनें टॉम के बच्चे की मां बनने के लिए उनसे 15 करोड़ वसूले थे.....इस बार के करार में केटी ने दुबारा मां बनने की कीमत 55 करोड़ रूपये तय की है...जाहिर है बढ़ती महंगाई का असर केटी पर भी पड़ा है। वहीं टॉम क्रूज को बाय बाय बोल चुकीं निकोल किडमैन अपने से आधी उम्र के कीथ अरबन को पति की तरह साथ रखने के एवज में 3 करोड़ रूपये सालाना भर रही हैं....गोया पति न हो गया कोई जिगोलो हो गया.....

ये वो लोग हैं जिन्हें आप किसी देश के दूर दराज इलाके में बसी , किसी जनजाति के लोगों की दकियानूसी परंपरा मान कर अनदेखा नहीं कर सकते ....क्योंकि ये वो लोग हैं जो दुनिया भर के लोगों को इनके जैसा बनने के लिए इंस्पायर करते हैं ,बेहद सफल और बेहद अमीर,पर इनके स्टारडम ,इनके रूतबे और इनके पैसों ने आज इन्हें कहां पहुंचा दिया है । भले ही आज ये करोड़ों दिलों की धड़कन हों लेकिन इनकी एक एक धड़कन का हिसाब किताब लगाकर इन्हें इनके अपने ही दौलत के तराजू में हर रोज तोल रहे हैं। ये वो दुनिया है जहां रिश्तों का कोई मोल नहीं रह गया, सबकुछ पैसे के इर्द गिर्द नाचता है यहां । आप खुद सोचिए उस बच्चे के दिल में अपनी मां के लिए कितनी इज्जत होगी जिसे पता हो कि उसकी मां ने उसे दुनिया में लाने के लिए भी उसके पिता से करोड़ों में सौदा तय किया था।

ये कहानियां सबक हैं हर उस भारतवासी के लिए जो पश्चिम को कॉपी करने की अंधाधुंध रेस का हिस्सा है, ये कहानियां हमें सिखाती हैं नाज़ करना उस भारतीय संस्कृति पर जिसकी हम और आप अक्सर आलोचना करते रहते हैं ....वाकई हमें गर्व है उस देश का हिस्सा होने पर जहां जीवनसाथी ठेके पर नहीं , सात जन्मों के बंधन के साथ मिलते हैं.....

Thursday 21 January 2010

क्रिकेट- रिश्ते जोड़ता ही नहीं , तोड़ता भी है

हम और आप बचपन से सुनते आए हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई क्रिकेट मैच ,मैच नहीं होता...दो देशों के बीच जंग होती है....देखते आए हैं इस जंग को देखने के लिए लोगों की दीवानगी....गवाह बने हैं उन लम्हों के जब भारत पाक मैच देखने के लिए सड़कें सूनी हो जातीं थीं....लोग अपना काम धाम छोड़कर , छुट्टी लेकर घर बैठ जाते थे कि भई आज तो मैच है...आज कोई काम नहीं......लेकिन आज जब पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने हमारे खिलाड़ियों का आईपीएल से पत्ता साफ करवाके हमारे साथ धोखा किया है....हम भी ईंट का जवाब पत्थर से देंगे.....पाकिस्तान में नहीं होने दिया जाएगा आईपीएल के मैचों का प्रसारण.....तो एक झटका सा लगा...मन के एक कोने में साल 2006 की वो तस्वीर अचानक उभर आई जब भारत पाकिस्तान के बीच लाहौर में खेले जाने वाले तीसरे वनडे मैच के बाद , तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अपने, झारखंड के लाल, धोनी की बल्लेबाजी के साथ साथ उनके हेयर स्टाइल के भी कायल हो गए थे.....और कहा था कि "आप अगर मेरी मानें तो अपने बाल न कटवाइएगा क्योंकि इस हेयर स्टाइल में आप अच्छे दिखते हैं...,"न जाने क्यूं उन तस्वीरों को देखने के बाद ऐसा लगा था ....कि बस अब भारत पाकिस्तान के बीच सब कुछ ठीक हो जाएगा......लेकिन नहीं उस लम्हे में क्रिकेट के जरिए दोनों देशों के रिश्तों को एक बेहतर मकाम पर पहुंचाने का सपना मेरी तरह , जिस जिसने भी देखा... वो आज चकना चूर हो गया.....


दिल में ये ख्याल भी आया कि इस बार झगड़े की शुरूआत तो हमने ही की है.....जरा सोचिए पाकिस्तान के उन दिग्गज 11 खिलाड़ियों के लिए ये कितनी बेइज्जती की बात है कि पहले तो उन्हें बिडिंग प्रॉसेस में शामिल किया जाता है और फिर एक तगड़ा झटका देते हुए, किसी भी खिलाड़ी को इस लायक नहीं समझा जाता कि वो किसी टीम का हिस्सा बनें.....आखिर क्या गलती है इन खिलाड़ियों की....क्या कमी रह गई इनकी परफॉर्मेंस में ....क्या वजह है कि ऑस्ट्रेलिया के एक रिटायर्ड खिलाड़ी डेमियन मार्टिन तक को हाथों हाथ खरीद लिया जाता है और धुआंधार बल्लेबाज और लाखों दिलों की धड़कन माने जाने वाले शाहिद अफरीदी मुंह ताकते रह जाते हैं .....आखिर क्या कसूर हैं इनका सिवाय इसके कि ये आंतकवादी देश करार दिए जा चुके पाकिस्तान से ताल्लुक रखते हैं....आखिर पाकिस्तान की हुकूमत और वहां पैर जमाए बैठे आंतक के आकाओं की करनी का खामियाजा इन्हें क्यों भुगतना पड़े..... क्या गलत कहते हैं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान रमीज़ राजा कि हालात का अंदाजा पहले से ही भांपकर , पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को अपने खिलाड़ियों को आईपीएल की बिडिंग में शामिल ही नहीं होने देना चाहिए था....


सरकार कहती है कि IPL एक प्राइवेट बॉडी है और इससे सरकार के फैसले से कोई लेना देना नहीं है....लेकिन अपने आप में ये बात हजम करना हमारे आपके लिए थोड़ा नहीं, बहुत मुश्किल है कि बिना सरकारी दबाव के IPL के फ्रेंचाईज़ीस ने पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को लेकर इतनी बेरूखी दिखाई......और उन्हें सिरे से खारिज कर दिया

बहराहाल आज अपने खिलाड़ियों की बेइज्जती के बाद जिस तरह का बयान पाकिस्तान की तरफ से आया है उसने भले ही वहां के खिलाड़ियों के हरे हरे जख्मों पर मरहम का काम किया हो...लेकिन उन्हें ये भी जान लेना चाहिए कि गलती भारत की नहीं ....कमी उनके खेल में भी कतई नहीं ....गलती है उस देश की हुकूमत की है...जहां के ये बाशिंदे हैं....वो हुकूमत जो अपने खिलाड़ियों की कब्र खोदकर , उनके साथ खड़े होने का दिखावटी नाटक कर रही है और आईपीएल मैचों पर पाबंदी लगाने की धमकी देकर अपने ही देश की आवाम का दिल तोड़ रही है

Tuesday 12 January 2010

दिल्ली की सर्दी और खाक होती जिंदगी

भई दिल्ली में तो हाड़ कंपाने वाली ठंड़ पड़ रही है, सुबह उठना दूभर....नहाना दूभर....घर से गाड़ी तक आना दूभर....सर्द हवाएं शरीर में सुई की तरह चुभती हैं....कितना भी पहन ओढ़ कर क्यों न निकलो...ठंड, शरीर से आर पार हो ही जाती है....पता नहीं कब तक ये कोहरा परेशानी का सबब बना रहेगा...हम और आप आजकल कुछ ऐसी ही बातें करते अपने दफ्तर की सीढियां चढ़ते हैं.....और फिर एसी ऑफिस की गर्मी में ठंड भुलाकर, चाय की चुस्कियां लेते हुए काम शुरू करते हैं....घर लौटते वक्त फिर ठंड का अहसास होता है तो कुदरत को कोसते हुए रास्ता तय होता है और बस......एक बार घर पहुंच गए तो आनंद ही आनंद......लेकिन कुछ रोज पहले कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद अब ठंड ज्यादा नहीं लगती .... बार बार ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करने को जी चाहता है....उस रोज....दिल्ली में हल्की बारिश हुई थी....ठंड और बढ़ चुकी थी.....ऑफिस से घर जाते वक्त ड्राइवर साहब को गाड़ी तेज भगाने की हिदायत दी....लेकिन न चाहते हुए भी उन्हें एक रेड लाइट पर ब्रेक लगाना ही पड़ा.....ब्रेक लगा तो चंद लम्हों बाद ही नजर आया....एक परिवार.....बेहद मैले कुचैले फटे हुए छोटे से कपड़ों में दो बच्चे, और अपनी आगोश में लेकर ....उन्हें किसी तरह ठंड से बचाने की नाकाम कोशिश करती उनकी मां....रेड लाइट मीटर 25, 24, 23 करता हुआ ग्रीन होने की जि़द कर रहा था और एक एक सेंकेंड किसी पर कितने भारी पड़ सकते हैं , हर पल मुझे इस बात का अहसास हो रहा था.....यकीन जानिए उन 20-25 सेंकेंड्स ने मुझे अंदर तक हिला दिया....रोम रोम में सिहरन सी दौड़ गई....

इसके आगे कुछ सोच पाता, कि ड्राइवर ने .... फर्स्ट गेयर लगाया...मैने देखा रेड लाइट ग्रीन हो चुकी थी.....फिर नजर फुटपाथ की तरफ गई..... ठंड से बचने की कोशिश करती वो जिंदगियां नजरों से ओझल हो चुकी थीं.....उनके लिए कुछ नहीं कर पाया.....क्योंकि उन चंद पलों में दिल के अंदर मचे तूफान की वजह से कुछ सोच ही नहीं पाया.....लेकिन ये ग़म चंद गरीबों का नहीं है.....आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि देश के दिल दिल्ली में ...एक दो नहीं.... पूरे दस लाख लोग फुटपाथ पर रहकर इन सर्द हवाओं के थपेड़े झेलने को मजबूर हैं....हो सकता है इनमें से कुछ अगली ठंड झेलने के लिए बचें भी ना...पर ये बात तय है कि उनकी जगह जल्द ही भर जाएगी....जानना चाहेंगे क्यों....क्योंकि दिल्ली जैसे अत्याधुनिक शहर में कामयाबी की निशानी के तौर पर मेट्रो की रफ्तार नजर आती है...एक से बढ़कर एक शानदार ओवरब्रिज तो नजर आते हैं....कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम पर अरबों रूपये बहते भी नजर आते हैं....लेकिन ऐसे गरीब और बेसहारा लोगों के लिए नाइट शेल्टर्स यानि रैन बसेरे नजर नहीं आते.....तभी तो लाखों बीमार सड़कों पर रहते हैं और जिस एक को अनार बन चुके इन रैन बसेरों में जगह मिल जाती है वो अपने आप को खुशकिस्मत समझता है.....दरअसल पूरी दिल्ली में सिर्फ 10 रैन बसेरे हैं.... जिसमें से कोई भी महिलाओं के लिए नहीं है....जी हां दिल्ली ....जहां एक महिला मुख्यमंत्री पिछले 11 सालों से सत्ता पर काबिज हैं , वो दिल्ली जो देश के बाकी राज्यों के लिए विकास के मामले में एक नजीर की तरह पेश होती है......वहां महिलाओं के लिए एक भी नाइट शेल्टर नहीं है......

शायद शीला मैडम को अपनी एसी अंबैस्डर से दिल्ली की चमचमाती सड़कों पर रात बिताते ये लोग नजर नहीं आते....या मैडम उन्हें देख कर मुंह फेर लेती हैं.....या फिर मन ही मन ये सोच कर आगे बढ़ जाती हैं ...कि बस एक यही हैं...जिन्होंनें दिल्ली को दागदार कर रखा है ...आखिर क्या सोंचेगें कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान दिल्ली आए हमारे विदेशी मेहमान......काश, शीला दीक्षित ने सोचा होता कि अगर सिर पर एक अदद छत न हो.....तन ढकने को कपड़े न हों....तो दिन भर में कितनी बार इन महिलाओं का सामना इंसान के भेस में घूम रहे भेडियों से होता होगा....शायद सोचा होता कि हर साल ठंड आते ही सैकडों लोग हमेशा हमेशा के लिए काल के गाल में क्यों समा जाते हैं.....शायद सोचा होता दिल्ली की उन हजारों बेघर महिलाओं के ग़म के बारे में..... जिनके सिर पर छत तो दूर की बात है.....जिन्हें जिंदगी गुजारने के लिए पीने का साफ पानी और बुनियादी जरूरतें तक मयस्सर नहीं हैं। लेकिन नहीं......दिल्ली सरकार ने उनके बारे में सोचकर अपना कीमती वक्त जाया नहीं किया...तभी तो जब कुछ दिनों पहले एक रिपोर्टर ने मैडम से इन रैन बसेरों के बारे में जानने की कोशिश की तो सीएम साहिबा ने एक गलत जानकारी देते हुए...इस मसले पर बात करने से ही इंकार कर दिया....मैडम बोलीं कि नहीं ऐसी बेसहारा महिलाओं के लिए निर्मल छाया स्कीम चल तो रही है। जबकि निर्मल छाया अपराधी महिलाओं के लिए जेल है न कि बेघर महिलाओं का कोई सहारा.....

मैडम दीक्षित....बहुत तारीफें सुनी हैं आपकी.....खुद लोगों से की भी हैं.....मानता हूं कि इन 11 सालों में आपने दिल्ली को बहुत कुछ दिया है.....मानता हूं कि ये काम अकेले आपका नहीं है एमसीडी की सत्ता पर पांव जमाए बैठे बीजेपी के नेताओं की भी जिम्मेदारी बनती है.....पर अब तो एमसीडी में भी चलती आपकी ही है...किसी की क्या मजाल जो आपका कहा न माने....इसीलए अफसोस होता है....आज आपके इस विकास पर शर्म आती है...क्या यही है विकास....जो गरीबी, नहीं गरीबों को हटाए...उम्मीद करता हूं कि अगली बार आप सड़क पर निकलेंगी तो ये गरीब भी आपको नजर आएंगे...और इनकी मजबूरी भी...और फिर जब कोई रिपोर्टर आपसे इन गरीबों की हालत के बारे में सवाल पूछेगा तो आपको बगलें झांकने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी...

Thursday 7 January 2010

26/11 से 6/1 तक, कुछ नहीं बदला

26 11 --- शायद इस तारीख को बताने के बाद इस दिन के बारे में कहने को कुछ रह नही जाता, उस काली रात को भी मैं IBN7 के स्टूडियो में था.....अचानक खबर आई....कि मुंबई में फायरिंग हुई है...मुझे और मुंबई में मौजूद मेरे सहयोगी को कुछ पलों के लिए लगा कि ये गैंगवॉर है ..लेकिन कुछ ही मिनट में सब कुछ साफ हो गया। आज भी सोच कर रौंगटे खड़े हो जाते हैं....उस वक्त हुआ था देश पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला....जो पाकिस्तान की शह पर वहां बैठे आतंक के आकाओं ने कराया था....और फिर आया नया साल, 2010... तारीख 26/11 से बदलकर 6/1 हो चुकी थी...दोपहर का वक्त था मैं अपने एक सहयोगी से एंकरिंग के 2 घंटे के ब्रेक के दौरान बात ही कर रहा था कि यार कश्मीर जाने का बहुत मन कर रहा है क्या शानदार बर्फबारी हो रही है ...देख देख कर दिल में टीस सी उठ रही है....स्टूडियो में बैठ कर श्रीनगर में मौजूद अपने रिपोर्टर खालिद से कैमरामैन के जरिए खूबसूरत तस्वीरों को दिखाने की गुजारिश ही करता रहूंगा या कहीं जाउंगा भी.....तभी कहा गया ब्रेकिंग न्यूज है....मैने कहा क्या हो गया.....स्टूडियो की सीढियां चढ़ते हुए बस इतना सुन पाया कि श्रीनगर में कुछ हुआ है......पीसीआर में दाखिल होते होते खबर बहुत हद तक साफ हो चुकी थी....ये भी एक आतंकी हमला ही था...

कुछ देर पहले तक बर्फबारी की खूबसूरत तस्वीरें दिखाने वाले खालिद अब गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच लाल चौक पर खडे थे....कभी झुकते हुए कभी सुरक्षाबलों की डांट सुनते हुए.....हटिए ...दूर हटिए.....यहां खतरा है....मैं लगातार सवाल पर सवाल दाग रहा था और खालिद अपनी भर्राई आवाज में जवाब दे रहे थे....अपनी जान पर खेलकर.....लेकिन इन सवालों के साथ मन के किसी कोने में कुछ और सवाल भी उठ रहे थे...... क्या यार कब तक हम इसी तरह इन आतंकी हमलों की खबर पढ़ते रहेंगे....क्या करती रहती हैं हमारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां......अभी कुछ देर पहले तक कितना खुशगवार नजर आ रहा था हमारा कश्मीर....अब देखो कैसा सन्नाटा पसर गया है सड़कों पर....कैसे कुछ देर पहले बर्फ में अटखेलियां करने वाले टूरिस्ट जान बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे हैं....एक पल को ये भी ख्याल आया कि अच्छा हुआ कश्मीर गया नहीं , स्टूडियो में लगे प्लाज्मा से ही कश्मीर की खूबसूरती निहारना फायदेमंद रहा....पर फौरन मन ने पलटी मारी.....कहा इन आतंकियों की तो ऐसी की तैसी....कुछ देर बाद मेरे साथ लाइव मौजूद सीआरपीएफ के डीआईजी ने भी यही कहा...इन आतंकियों की तो ऐसी की तैसी....हां एक बात और....जिसने अभी अभी पैदा हुआ कश्मीर जाने का डर मार दिया......खालिद ने उनसे पूछा डीआईजी साहब कितना वक्त है आपके पास....डीआईजी साहब बोले वक्त तो हमारे पास बहुत है ...पूछिए...उनके पास कितना वक्त है....लगता है खुदा ने उनकी जिंदगी के चंद लम्हे बाकी रखे हैं सो वो , वही काट रहे हैं....बस वो लम्हे उन्हें काट लेने दीजिए....फिर उनका खेल खत्म......

इन दो लाइनों ने दो काम किए....एक तो डर दिल से निकल गया , दूसरे इस सवाल का जवाब मिल गया कि क्या करती हैं हमारी सुरक्षा एजेंसियां....करीब 20 घंटे के बाद आंतकियों की पनाहगाह बन चुके न्यू पंजाब होटेल से आग की लपटें धधकती नजर आईं....दिल में एक टीस सी हुई...और जेहन में जलते हुए ताज की तस्वीर घूम गई....पर खुदा का शुक्र था कि 2 घंटे में ही वो खबर आ गई जिसका मेरे साथ साथ देश के तमाम लोगों को इंतजार था.....होटल में लगी आग दहशतगर्दों की जिंदगी बचाने की आखिरी नाकाम कोशिश थी.....चंद पलों में ही खुशखबरी आ चुकी थी.....वैसे तो किसी की मौत की खबर खुशखबरी कहना अजीब लगता है पर दहशतगर्द इसी लायक हैं.....हमने शान से सुरक्षाबलों के हौसले को सलाम करते हुए दुनिया को बताया कि लो एक बार फिर हमने देश में सिर उठा रही आतंकी फितरत को कुचल डाला.....चंद ही लम्हे गुजरे थे...ये भी पता चल गया कि मुंबई पर हुए हमले की तरह ही ये आतंकी भी सरहद पार पाकिस्तान में बैठे आंतक के आकाओं की कठपुतली ही थे...

जी हां 26/11 से 6/1 तक हमारे देश और पूरी अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी के दबाव के बाद भी पाकिस्तान नहीं बदला....बार बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान नहीं बदला.....देखिए कब तक हमें भुगतनी पड़ती है एक आतंकवादी देश के पड़ोसी होने की सजा